ललितपुर। जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बाद भी सड़क, संपर्क मार्ग और सुविधाओं के अभाव में पर्यटन दम तोड़ रहा है। बीते रोज झांसी में पर्यटन से जुड़े लोगों ने सुझाव रखकर ललितपुर जिले को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए सड़कों के निर्माण की बात कही, क्योंकि अधिकांश पर्यटन स्थलों की सड़कें वन विभाग के अधीन आती हैं, जिनका निर्माण कराना संभव नहीं हो पाता है।
जनपद में पर्यटन के क्षेत्र में प्राचीन व ऐतिहासिक धरोहरें जगह-जगह बिखरी पड़ी हैं। देवगढ़ का दशावतार मंदिर, जैन मंदिर, मुचकुंद की गुफा, बौद्ध गुफाएं, धौर्रा क्षेत्र में चांदपुर-जहाजपुर, पाली के बंट के जंगलों में च्यवन आश्रम, करकरावल का झरना, पाली के श्रीनील कंठेश्वरधाम मंदिर, पाली से दस किलोमीटर दूर बालाबेहट रोड पर दूधई गांव में चंदेलकालीन सूर्य मंदिर, शिव मंदिर, विराट नृसिंह प्रतिमा आज भी स्थित हैं। लेकिन, दूधई के सूर्य व शिव मंदिर एवं पहाड़ पर उकेेरी गई विराट नृसिंह प्रतिमा तक पहुंचने के लिए संपर्क या सड़क मार्ग नहीं है। इसी रास्ते में ऊंची विशाल बैठक पूर्ण सुरक्षित है, जो प्राचीन कला व यहां से प्राकृतिक सौंदर्यता को स्पष्ट करती प्रतीत होती है। लेकिन, बिजली, पानी, सड़क एवं ठहरने के लिए कोई इंतजाम इस क्षेत्र में नहीं है। यहां का रास्ता ऊबड़खाबड़ और सुनसान जंगली इलाके से होकर जाता है। ऐसे में पर्यटकों को शाम होने से पहले से लौटना पड़ता है। ऐसा ही हाल बंट के च्यवन आश्रम और जखौरा क्षेत्र में करकरावल का झरना का भी है।
वहीं, नाराहट क्षेत्र में पांडव वन क्षेत्र में महाभारत कालीन पांडवों चिह्न, प्राकृतिक छटा को दर्शाती नदी व पहाड़ों का आकर्षण देखते ही बनता है, लेकिन यहां भी ग्राम पटना, पारौल से करीब सात किलोमीटर जंगलों के रास्ते से ही होकर जाना होता है। यहां भी सड़क मार्ग नहीं बन सका है। ऐसा ही कुछ हाल धौर्रा क्षेत्र में रणछोरधाम मंदिर की सड़क का भी है, यहां सड़क तो है, लेकिन मरम्मतीकरण में वन विभाग के कानून आड़े आ रहे हैं। देवगढ़ में भी वन्य क्षेत्र में पहाड़ी पर मुचकुंद की गुफा स्थित हैं, लेकिन यहां भी वन्य क्षेत्र होने के कारण सड़क या संपर्क मार्ग से नहीं जोड़ा जा सका।
डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से पर्यटन स्थलों की प्रस्तुति दी
ललितपुर से इंटेक संस्था के संतोष शर्मा ने डॉक्यूमेंट्री को प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया। इसमें ललितपुर के पर्यटन स्थलों की प्रस्तुति की गई। उन्होंने ललितपुर के पर्यटन क्षेत्रों में बिजली, पानी और सड़क की सुविधाओं के साथ ही यहां ठहरने और पर्यटक स्थलों की प्राचीनता की जानकारी के लिए गाइड की सुविधा मुहैया कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चाहे देवगढ़ हो या दूधई, तालबेहट हो या बालाबेहट, च्यवन आश्रम और पंडवन या फिर चांदपुर जहाजपुर जैसे प्राचीन व धार्मिक पर्यटन महत्व के स्थान लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि उचित प्रबंध कर दिए जाएं तो पर्यटक आने से लोगों को रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। सड़क व संपर्क मार्ग के अभाव में इन स्थानों के बारे में जानकारी होने के बाद भी विदेशी या अन्य जनपदों से आने वाले पर्यटक यहां आने से कतराते हैं। ललितपुर में पर्यटन स्थलों की भरमार है, जिन्हें संवारने की जरुरत है। फिरोज डायमंड ने भी जिले के पर्यटन व उसकी प्राचीनता पर प्रकाश डाला ।
ललितपुर में पर्यटन विकास के लिए सड़क व संपर्क मार्ग के लिए प्रस्ताव बनाया गया है। पर्यटन संवर्धन योजना के तहत पर्यटन स्थलों के विकास पर कार्य किया जा रहा है।
आरके रावत, उपनिदेशक पर्यटन।
वन्य संरक्षण अधिनियम-1980 के तहत वन क्षेत्रों में सड़क बनाने की अनुमति नहीं है। केंद्र सरकार से अनुमति के बाद ही किसी वन्य क्षेत्र में सड़क या अन्य निर्माण किया जा सकता है। वन्य क्षेत्रों में स्थित पर्यटन क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए नियमों के विरुद्घ सड़क निर्माण या मरम्मतीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
- डीएन सिंह, डीएफओ।